पुस्तक का नाम – गोदान
लेखक – मुंशी प्रेमचंद
प्रकाशक -भारतीय ग्रन्थ निकेतन
प्रकाशन वर्ष – १९९४
मूल्य – १५० रूपये
कथानक – यह मुंशी प्रेमचंद का कृषक जीवन पर आधारित कालजयी उपन्यास है I इसमें छोटे किसान के जीवन में आने वाली अनेक कठिनाइयों का सजीव चित्रण है I यह उपन्यास आज भी प्रासंगिक है I इसमें होरी नामक एक छोटा किसान गरीबी से जूझ रहे किसानों का प्रतिनिधित्व करता हैI तो धनिया होरी की पत्नी हर मुसीबत में उसका साथ देती है I उसके मन में जमीनदारों के प्रति आक्रोश है परन्तु होरी कहता है कि जब दूसरे पांवों तले अपनी गदन दबी हो तो उन पांवों को सहलाने में ही कुशलता है I होरी का पूरा जीवन एक गाय को अपने दरवाजे पर बांधने और गोरस को पीने की आशा में व्यतीत हो जाता है I प्रकृति की मार झेलते और सेठ साहूकारों के कर्ज से दबे होरी का जब प्राणांत हो जाता है तो उसकी पत्नी से गोदान कराने की बात की जाती है I यह उपन्यास का मार्मिक क्षण है I
निष्कर्ष – इस उपन्यास को पढकर आप तत्कालीन परिस्थितियों से रूबरू हो सकेंगे साथ ही मुंशी प्रेमचंद के बेजोड कथा साहित्य का रसास्वादन भी कर सकेंगे I
सुझाव – यह उपन्यास केन्द्रीय विद्यालय क्र १ देवलाली के पुस्तकालय में उपलब्ध है Iकृपया आप इसे जरुर पढ़ें और हिन्दी साहित्य की गहराई को समझें I